Wednesday, August 5, 2009

आरम्भ

दो मित्र आ पहुंचे हैं। एक ने संक्षिप्त टिप्पणी भी कर दी है। कहना तो होने लगा था, अब सुनना भी शुरू हुआ है। यह जो हमारा समय है, उसके अनेक और लगातार बदलते चेहरों में संवाद की नई ज़रूरतों के हिसाब से नए माध्यमों और मंचों का प्रादुर्भाव भी एक है। ई-मेल अधिकतर व्यक्ति से व्यक्ति के बीच का कथोपकथन है। यदि समूह से कुछ कहा भी जाता है, तो निश्चित लक्ष्यित समूह से ही। या फिर आगे बढ़ाते रहने की एक श्रृंखला चलती है। यहाँ ब्लॉग की दुनिया में अपनों से भी कहा जाता है और अनजानों से भी। इसकी चुनौतियां और संभावनाएं जानने और परखने तथा बरतने की इच्छा है

4 comments:

  1. Swagat hai...agalee post kaa intezaar bhee...!

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  2. मुझे आपके इस सुन्‍दर से ब्‍लाग को देखने का अवसर मिला, नाम के अनुरूप बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने इन्‍हें प्रस्‍तुत किया आभार् !!

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  3. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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