Wednesday, February 20, 2013

अब तक का आख़िरी पूरा गीत

आज अपना एक पुराना गीत बांटने का मन हो आया है: -

गीत लिखना चाहता हूँ
गीत लिखना चाहता हूँ।

शब्द आँखों में अड़े हैं
जीभ पर ताले जड़े हैं
हादसे इतने हुए हैं
रास्ते गुमसुम खड़े हैं

उम्र के इस मोड़ पर फिर भी
स्वयं को साफ़ दिखना चाहता हूँ
गीत लिखना चाहता हूँ।

फूल सब गिरते गए हैं
हौसले थिरते गए हैं
डगमगाते पाँव पीछे की तरफ़
फिरते गए हैं

राह जो आगे धकेले उस हवा के
संग सिंकना चाहता हूँ
गीत लिखना चाहता हूँ।

वैसे अब अहसास हो रहा है कि पुराना सही पर अब तक का मेरा यह आख़िरी पूरा गीत है।

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