Friday, August 14, 2009

जन्माष्टमी

कई दिन बीत गए हैं कुछ लिखा नहीं। रोज़मर्रा की भागदौड़ में ही जैसे सारा समय कोई हाथ से छीनकर ले गया। आजकल ज़्यादातर यही तो होता है। लगातार की एक अजीब सी भागमभाग मची रहती है, पर ज़रा सा ठहरने का मौका मिले, तो सारा तूफ़ान जैसे बिल्कुल निरर्थक मालूम पड़ता है। हाल में कहीं पढ़ा है कि जीवन को पूरी तरह तयशुदा और दूसरों द्वारा निर्धारित गतिविधियों में नहीं उलझे रहना चाहिए,बल्कि बीच-बीच में कुछ-कुछ अपने मन का अपने ढंग से करते रहना चाहिए। कवि भगवत रावत का संग्रह है 'दी हुई दुनिया', पर हमें हमेशा इस दी गयी दुनिया की संगति की ही चाल नहीं चलनी चाहिए। और जैसा कि मेरी मित्र गीतांजलि एक उद्धरण के माध्यम से कहा करती थीं, इस 't'yranny of should' यानि 'चाहिए की तानाशाही' से भी लड़ना चाहिए। पर मज़ा देखिये, इसमें भी 'चाहिए' आ ही जाता है।

बीच में एक दिन एक विचित्र सी बात हुई। यहाँ लिखना शुरू किया और ख़ासा लंबा लिख भी मारा, मन का और मज़े का भी। पर उसे publish करने के पहले पता नहीं क्या मूर्खता की कि सब ऐसा उड़ा कि हज़ार कोशिशों के बाद भी उसे लौटा न सका। जो उसमें कहा था, फिर कभी दोहराने की कोशिश करूंगा।

पिछली बार जब सफलतापूर्वक लिख पाया था, तो रक्षाबंधन का त्योहार था। आज भी एक पर्व का ही दिन है - जन्माष्टमी का। यहाँ दिल्ली में जहाँ रहता हूँ, उसके पास पंजाबी बाग में बड़े विराट रूप में इसे मनाया जाता है। भयंकर भीड़ और भीषण धूमधाम होती है। किसी भी सार्वजनिक आयोजन की सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण आजकल यह प्रतीत होता है कि उससे अन्य सामान्य लोगों को कितना कष्ट होता है, कितना शोर मचाया जाता है, यातायात कितने शानदार तरीके से कितनी ज़्यादा देर तक अवरुद्ध होता है। इन सब कसौटियों पर यह आयोजन अत्यन्त सफल माना जा सकता है। यहाँ शायद एक बार हेमा मालिनी जी का नृत्य भी हो चुका है।

पर कृष्ण जन्म का जो मूल भाव है, अन्याय से संघर्ष का, अत्याचारी राजसत्ता के विरुद्ध सामान्य श्रमजीवी वर्ग के संगठित प्रतिरोध का, शैशव के अप्रतिम भोलेपन का, प्रेम और अनुराग का, उसका इस आयोजन में या इस जैसे ही जगह-बेजगह होने वाले अन्य अनेक समारोहों में मुझे तो लेशमात्र नहीं दिखाई देता। क्या हम सब अपने संस्कारों और परम्परा के मर्म को इस पूरी तरह भूल गए हैं और केवल चकाचौंध और वैभव तथा शक्ति प्रदर्शन के लिए उनका दुरुपयोग ही हमारे लिए सम्भव रह गया है?

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